*बरसो बदरा* घुमङ-घुमङ घन बरसो बदरा अब तो जल बरसाओ।।।। तपती धरती सूखे पोखर सबकी प्यास बुझाओ।।।। खिले कुमुदनी जंगल की मयूर तिनक-धिन नाचे।। दामिणी की चमक ताल पर बदरा ढोलक बनकर बाजे। सिंधु भी सागर से मिलने कल-कल करती भागे।। वरषाने की राधा बनकर हर बाला कृष्ण अलापे। सजनी-साजन के सूखे प्रेम में सागर सी ठंडक आये।। सरस मिलन हो अबनि-अम्बर का धरती चहक-महक खिल जाये --नेहा सोनी'सनेह'✨🦋 #waitingforyou बरसो बदरा #बरसात #rain