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अग्नि-प्रीत अग्नि है यह- तपाएगी! काठ को जलाएगी, स्

अग्नि-प्रीत
अग्नि है यह-
तपाएगी!
काठ को जलाएगी,
स्वर्ण को पकाएगी
तपा काठ तो भस्म हुआ
शेष बची राख
तपा स्वण तो तरल हुआ, नए रूप में फिर ढला 
किन्तु बस! टूटा एक स्वप्न
छूटा सब-इतिहास
और जीवन का आभास
परन्तु दृढ़ हुआ एक विश्ववास
अग्नी है यह-
तपाएगी!
अग्नी है यह-
तपाएगी
पर अग्नि प्रीत
अग्नि-प्रीत
अग्नि है यह-
तपाएगी!
काठ को जलाएगी,
स्वर्ण को पकाएगी
तपा काठ तो भस्म हुआ
शेष बची राख
तपा स्वण तो तरल हुआ, नए रूप में फिर ढला 
किन्तु बस! टूटा एक स्वप्न
छूटा सब-इतिहास
और जीवन का आभास
परन्तु दृढ़ हुआ एक विश्ववास
अग्नी है यह-
तपाएगी!
अग्नी है यह-
तपाएगी
पर अग्नि प्रीत