हाँ, मैं तुमसे ही बोल रहा हूँ, हाँ, मैं आज भी मुस्कुरा रहा हु. माटी से जुड़ा हुँ मैं, ख्वाब अर्श का लिए हुए,, पीछे कब मुड़ा हुँ मैं ? राह, मंजिल-ए-तलब लिए,,-(1) ठोकरों से मैं जूझकर, कभी लड़ा मैं जान-बूझकर,, मैं झुक गया वहाँ कहीं, जहाँ हार में जीत सी दिखी. -(2) है वो मंजिल प्रकाश का, जो दिखा वो अर्श में,, ज्ञान का है वो सागर, जो लहरा रहा तरंगें पवन में,,-(3) सम्मान मैं लिए हुए, तिरस्कार भी, मैं सह गया,, ख़्वाब बड़े नए लिए हुए, कुछ हार मैं भी सह गया,,-(4) हवा के जरिए मैं बहता जाऊँ, सोचा 'ज्ञान के सागर' में डूबकियाँ लगा जाऊँ,,-(5) हाँ, मैं तुमसे ही बोल रहा हूँ, हाँ, मैं आज भी मुस्कुरा रहा हूँ. - (6) अपने दिल के जज्बातों को छुपा रहा हूँ, क्या मैं यही जिंदगी चाहता था, जिसे जीता चला जा रहा हूँ. हाँ, मैं आज भी मुस्करा रहा हूँ. -(7) ऐ हवा, तुम हो इस मेहफिल में आज भी, चाहे हमारी लफ्जों को, आवाज़ मिले ना मिले, पत्तों की सर्सराहट हो न हो, में तो मुस्कुरा रहा हूँ.-(8) तुम्हारी सर्सराहट से तो दुनिया काँप जाती है, बढ़े-बढ़े इमारतें भी ढह जाती है, मैं तो मामुली सा, छोटा सा पौधा हूँ, जिधर चाहो लचा दोll-(9) हाँ, मैं तुमसे ही बोल रहा हूँ, हाँ, मैं आज भी मुस्कुरा रहा हूँ, हाँ, मैं आज भी मुस्कुरा रहा हूँ ll-(10) #loveyou #preyasi मैं आज भी मुस्कुरा रहा हूँ ❤️