गजल आज-कल बाजार मे नया प्यार आया है। कुछ लोगो पर ये खूब बेशुमार आया है। जो खबर था छुपा-छुपा हुआ लोगो से, वह बात उड़ते-उड़ते मेरे दुआर आया है। सोचती है कभी खुले नहीं उनका राजे वफा, हमे चुप रहने के लिये डपट का तार आया है,। जो-जो है इन लोगो का उल्फत-ए-हमराज, सुन बातें मुखौटे पर उनके गम शुमार आया है। हमने छींटाकशी का एक ही तीर छोडे थे कृष्ण, हम से मिलने उन कुछ लोगो के यार आया है। कवि:-कृष्ण मंडल