ढाई अक्षर प्रेम के, प्रेम तेरा प्रतिज्ञा जैसा । जो पाया सब भूली मैं , ढाई अक्षर की धारा में तू मेरा पतबार बना ,प्रेम का रंग ना छुटे ऐसी तू मेरी पहचान बनी प्रेम की दीवानी