आबादी ही निगल जाएगी, देश के हर संसाधन को.! अगली पीढ़ी को क्या हम देंगें, सोंच ज़रा इन बातों को.! आबादी हमने ही बढ़ाई, हम ही इसके दोषी है.! अपनी गलती थोप रहें है, आनेवाली पीढ़ी पर.! संसाधन की हाल को देखो, कैसे इसको लूटा है.! प्रकृति का दोहन करके, चीरहरण कर डाली है.! अमृत में घोल दिया विष है, सांस कहां से पाएंगे.! अपने ही हाथों अपने, पैर पे मारी कुल्हाड़ी है.! #अजय57 #NojotoQuote जनसंख्या