है अद्भुत प्रेम का खजाना, माँ अमृत की सरिता तेरी हर एक आह से व्याकुल मन उसका निज तन को पीड़ा पहुंचा कर भी रखती सदा तेरी खुशियों का ध्यान तेरी इक मुस्कान पर न्यौछावर, करती अपना तन-मन- धन सबकुछ Challenge-159 #collabwithकोराकाग़ज़ आज आपको प्यार से जुड़े शब्दों के साथ कोलाब करना है। ध्यान रहे काॅमेंट वह लेखक करेगा जो दूसरा कोलाब करेगा। शब्द, विषय और पंक्तियाँ आपके अनुसार। पहले एक लेखक के किए हुए कोलाब पर दूसरा कोलाब करने के बाद दूसरा लेखक कॉमेंट करेगा। प्रतियोगिता के लिए केवल एक कोलाब चाहिए, आप चाहें जितने कीजिए। कॉमेंट करने का तरीका है- प्यार, इश्क़ या मोहब्बत 1- 2-