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अंजान हूं अपनी नादानियों से, अभी ख़ामोश हूं अपनी ब

अंजान हूं अपनी नादानियों से,
अभी ख़ामोश हूं अपनी बेबाकियो पे।
कुछ राज़ गहरे है समुन्दर से भी,
कुछ आगाज़ हुआ है मेरे अंदर भी।

मेरा अक्स मुझसे ही पूछ रहा?
क्यूं टूट के यूं तू बिखर गया,
क्यूं हंस कर दर्द है छुपा रहा?
क्यूं ज़ख्मों को और है खुरेद रहा?

बाहर से इतनी ख़ामोशी क्यूं,
क्यूं इतनी बेचैनी है?
क्यूं शोर है मन के भीतर यूं?
क्यूं ये ज़ख्म इतने गहरे है?

 #bebaak #life #lifelessons #yqbaba #yqdidi
अंजान हूं अपनी नादानियों से,
अभी ख़ामोश हूं अपनी बेबाकियो पे।
कुछ राज़ गहरे है समुन्दर से भी,
कुछ आगाज़ हुआ है मेरे अंदर भी।

मेरा अक्स मुझसे ही पूछ रहा?
क्यूं टूट के यूं तू बिखर गया,
क्यूं हंस कर दर्द है छुपा रहा?
क्यूं ज़ख्मों को और है खुरेद रहा?

बाहर से इतनी ख़ामोशी क्यूं,
क्यूं इतनी बेचैनी है?
क्यूं शोर है मन के भीतर यूं?
क्यूं ये ज़ख्म इतने गहरे है?

 #bebaak #life #lifelessons #yqbaba #yqdidi
monikajhaa6217

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