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#सलिल रातों की गुमनाम अंधेरों में। मैं बैठा था

#सलिल 

 रातों की गुमनाम अंधेरों में।
मैं बैठा था कुछ दूरी पर,
एक धुंध सी रोशनी सी परी।
 उसके सुनहरे चहेरो`पर।
देख के उसे यू बस।।
अभी जीने की जो आस जगी थी।
अचानक, गुम सी वो हो गई,
 बहती हवा की  लहरों पर।।
Dipu Sapno ke kisse..💞
#सलिल 

 रातों की गुमनाम अंधेरों में।
मैं बैठा था कुछ दूरी पर,
एक धुंध सी रोशनी सी परी।
 उसके सुनहरे चहेरो`पर।
देख के उसे यू बस।।
अभी जीने की जो आस जगी थी।
अचानक, गुम सी वो हो गई,
 बहती हवा की  लहरों पर।।
Dipu Sapno ke kisse..💞