सुनकर देखो कभी ,,बारिश की धुन, प्यासी धरती को तृप्त करती रून-झुन।। कभी आंखों से सुनो बेजुबान जानवरो की वेदना, क्यों नहीं होती हमको इनसे कभी संवेदना कभी ओस को छू के सुने, अपने शरीर की कोमलता को बच्चो की आंखो से सुने, छोटी छोटी खुशियो मे चमकना जरा सी बात पे दमभर बरसना,, कभी कमजोरो को सुने, क्योंकि कोई न सुनता उनके जज्बात, लोगों की मदद करें, घुलें मिलें बदलने की कोशिश करें सभी के हालात,,, कभी सुने,,, अनसुनी बातों,रिश्तों ,एहसासों,, अनुभावों को कभी सुने अनसुने किस्सों,,कहानियों,,जज्बातों सन्नटों को,,, कभी सुनें,,,,,...... #सुनकर देखो कभी ,, #बारिश की धुन, प्यासी #धरती को तृप्त करती रून-झुन।। कभी आंखों से सुनो बेजुबान जानवरो की वेदना, क्यों नहीं होती हमको इनसे कभी #संवेदना