बूंद मापक है समूल का है उसका हिस्सा दसवां;सैकड़ा या लाखों में पर है समेटे वही मूल ये जो पानी की बूंद।। बूंद जैसे तुम्हारी मुस्कान की जो बिखर जाती है तुम्हारे चेहरे से आकर मेरे चेहरे पर मिला लेती है अपने ही रंग में ये जो मुस्कान की बूंद।। बून्द जो बताती है है हर बूंद में प्रेम हमारा उभर आता है लम्हों में ईश्वर की छांव में ये जो प्रेम की बूंद।। बूंद जिसमें इकरार है हमें समेट लेती हर बार देती बता हैं हर कण में स्वीकार्य ये जो स्वीकार्य की बूंद।। #तितली #titli#Mylove#life#confession#nojoto#love