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समाज और अपनों के बीच कुछ इस तरह पिस्ते रहे मैं और

समाज और अपनों के बीच कुछ इस तरह पिस्ते रहे
मैं और मेरे सपने बिखरते रहे
लड़की हो तुम ये नहीं कर सकती वो नी कर सकती
इन्हीं तन्हों के बीच आज एक और लड़की अपना दम तोड़ती रही 🌝प्रतियोगिता-90 🌝
 
✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️

🌹"मैं और मेरे सपनें"🌹

🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या 
केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I
समाज और अपनों के बीच कुछ इस तरह पिस्ते रहे
मैं और मेरे सपने बिखरते रहे
लड़की हो तुम ये नहीं कर सकती वो नी कर सकती
इन्हीं तन्हों के बीच आज एक और लड़की अपना दम तोड़ती रही 🌝प्रतियोगिता-90 🌝
 
✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️

🌹"मैं और मेरे सपनें"🌹

🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या 
केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I