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यूँ ही पहलू में बैठे रहो कहना चाह रही थी, मगर कह न

यूँ ही पहलू में बैठे रहो
कहना चाह रही थी, मगर कह नही पाई
हाथ उठा मगर ..गिर गया, 
कहती भी क्या, दूसरा रास्ता भी तो नही था
ज़िन्दगी का फैसला मानने के सिवाय
खिड़की के बाहर देखा....खिली धूप में 
हल्की बारिश की फुहार देखकर आंखें भरी,
और मन का खालीपन महसूस हो आया, 
अक्सर मन नाच उठता था इन नज़ारों को देख
मगर आज ये मुझे अंदर से भिगो गए ...
 हमारी मनःस्थिति हमारे चुनाव पर निर्भर होती है।
हम क्या चुनते हैं यह हम पर।

Collab करें YQ Didi के संग।

#मेरामौसम 
#yqdidi #yqbaba
यूँ ही पहलू में बैठे रहो
कहना चाह रही थी, मगर कह नही पाई
हाथ उठा मगर ..गिर गया, 
कहती भी क्या, दूसरा रास्ता भी तो नही था
ज़िन्दगी का फैसला मानने के सिवाय
खिड़की के बाहर देखा....खिली धूप में 
हल्की बारिश की फुहार देखकर आंखें भरी,
और मन का खालीपन महसूस हो आया, 
अक्सर मन नाच उठता था इन नज़ारों को देख
मगर आज ये मुझे अंदर से भिगो गए ...
 हमारी मनःस्थिति हमारे चुनाव पर निर्भर होती है।
हम क्या चुनते हैं यह हम पर।

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