नशा बाद -ए- सबा तेरा ख़ुमार है मुझको, करूँ क्या इश्क़ इश्क़ इश्क़ बेशुमार है मुझको اا तू आ जा ना की बस तुझ पे दिल है फ़िदा मेरा , नहीं तो चाहने वाले दिलबर हज़ार हैं मुझको اا तू मरहम जानेजाँ जाना कि आ लगजा गले मेरे, न जाने कब से ए चारागर बुख़ार है मुझको اا मैं चाहूँ चल चलूँ चकले चंचल चित चराने को, ख़्याल आए क्यों फ़िर तेरा बार-बार है मुझको اا ये कैसा ग़म है मेरे सीने में समझ नहीं आता, मयस्सर नहीं रोना भी ज़ार-ओ-क़तार है मुझको, वादा कर के वो शरीक-ए-सफ़र साहिलों का, छोड़ गया तन्हा 'अबीर' सर-ए-मंजधार है मुझको اا बाद-ए-सबा - सुब्ह की हवा, ख़ुमार - सुरूर, चारागर - डॉक्टर, चकले- कोठा, चित-मन, ज़ार-ओ-क़तार - चिल्ला के रोना, शरीक-ए-सफ़र - हमराही #yqdidi #yqbhaijan #yqwriters #yqquotes #yqlife #yqlove #yqtales #yqgazal