-पाषाण हृदय- (29Dec 2020) एक मौन धारी पाषाण हृदय की मुखर वाक्यों के पीछे की चुप्पियों का एहसास चुपचाप समझ लेना प्यारे करना आत्म विस्तार... तेरा रोम रोम बिलखता रहा दायित्वों का बोध कराने के लिए पर सामने तुम्हें दिखाई दी सिर्फ निष्ठुर होने की पराकाष्ठा... आखिर साधी रही वह मौन क्यों ? तेरा हाल हर समय देखकर भी क्यों भिचती रही अपनी आँखों को कसकर क्या उन्हें कुछ भी नहीं सुनाई दी ? तेरी करुणा तेरा चीत्कार... आखिर में प्राण त्याग दिए ही मन मिला तब अमरत्व आत्म अधिकार अब ना देखना फिर किसी का आसरा ना किसी के स्वर की अकंप स्थिरता बस एक आग्रहशीलता कर अनंत आत्मविस्तार... -Amar Bairagi #मेरेएहसास केवल अध्यात्म #paidstory4