मैं मैं मैं मैं ये बकरी की भाषा होती है आपको भी पता होगा यानी बकरी जब बोलती है तब वह मैं मैं शब्द ही बोल पाती है ,बेचारी बकरी करे भी तो क्या क्योंकि प्रकृति ने उसे यही भाषा दी है लेकिन प्रकृति ने इंसान को तो सब कुछ दिया है लेकिन यदि उसके बाद भी इंसान बकरी की भाषा बोलने लगे मतलब हर काम में मैं मैं करने लगे तो समझ जाइए की मैं मैं इंसान नहीं बोल रहा बल्कि इंसान का अहंकार बोल रहा है क्योंकि जिस आदमी के अंदर अहंकार आ जाता है ना वह इंसान हर काम में मैं, मैंने, मेरा ,मेरे लिए करने लगता है जबकि इस पृथ्वी पर इंसान को कुछ भी स्थाई रूप से नहीं मिला है बस कुछ समय के लिए प्रकृति ने इंसान को उपयोग करने के लिए दिया है लेकिन जब इंसान सब कुछ खुद का स्थाई रूप से समझने लगे तो यह तो इंसान का सबसे बड़ा भ्रम है और रही बात है अहंकार की तो सब जानते हैं की जब इतने बड़े रावण का अहंकार नहीं टिक पाया तो इंसान तो एक छोटा सा प्राणी है मेरे कहने का पूरा मतलब आप समझ गए होंगे अहंकार नामक भाव कुछ काम की चीज नहीं है इससे आदमी का केवल नुकसान और नाश ही होता है इसलिए सबसे बेहतर है कि आप सभी के साथ घुल मिलकर प्रेम भाव से रहें और जितना अधिक बन सके उतना अधिक दूसरों में प्रेम और खुशियों को बांटे ईश्वर आपको भी उतनी ही खुशियां और प्रेम सूत समेत लौटाएगा ©"pradyuman awasthi" #केवल मैं नहीं हम सब