Nojoto: Largest Storytelling Platform

खुले गगन के पँछी, पूरा आसमान चाहते हैं..! औरों से

खुले गगन के पँछी,
पूरा आसमान चाहते हैं..!

औरों से अलग अपनी,
कुछ यूँ पहचान चाहते हैं...!

क़ैद रहना गँवारा नहीं कभी भी,
आज़ाद आबाद स्थान चाहते हैं..!

ज़िन्दगी मिले पल दो पल की बेशक़,
अपने हक़ का हक़ से सम्मान चाहते हैं..!

नाप तोल कर मिला नहीं अब तक जो,
उसका सम्पूर्ण संज्ञान चाहते हैं..!

ख़्वाबों को करके हक़ीक़त,
ख़्वाहिशों का पुराण चाहते हैं..!

©SHIVA KANT(Shayar)
  #BehtiHawaa #khulegagankepanchhi