जमींदारी प्रथा में जैसे न छोड़ने वाली लगान है वो बाबर के काबुली बाग के फूलों की शान है वो रूप में जोधा मस्तानी सी सुंदर है मगर इससे बढ़कर पद्मावत के महान स्तीत्व के समान है वो ©Amit Verma shayri #amitverma