जनभावना समर्पण अपने संविधान की शक्ति है राष्ट्रप्रेम से श्रेष्ठ भुवन में किस परचम की भक्ति है रंग-रंग के परचम पर्चे तुमको बस उकसाते हैं लहलहाती खेती में चिनगी रातों रात लगाते हैं उनकी बातें मत सुनना जो देश बेचकर खाते हैं सबका घर फूँक आँच पर रोटी अपनी बैठ पकाते हैं देश धर्म का मूल यही प्रस्तावित और पारित है सबकी समता और विकास इस पर ही निर्धारित है #constitutionday#lovefornation#iloveindia#motherhood#mothernation