White फिर मौसम बदलने को है अब मुसाफ़िर चलने को है। तुम गैर के हो ही चुके हो और मेरी रूह भी जलने को है। खुद को तसल्लियां दे रहा हूँ पर दिल कहाँ सम्भलने को है। मेरे दर्द को आराम नहीं, ये सर्द रात भी ढलने को है। (फॉलो और शेयर कीजियेगा please 🙏) ©Madhav Awana #sad_dp #sad_shayari #sad_shayari #sadpoetry #MadhavAwana #lovepoetry