जाम किनारे तक जो भर गया तो छलक ही जाएगा ना! पैमाना! आँखों के प्याले भी भरे हैं कोरों तलक आँखों का भी वही हाल वही फ़साना! दिल में दर्द की बदली उमड़कर बरसे तो कैसे रोके पलकों का शामियाना! दिल की नादानी ने झोली में अश्क दिए किसी के क़ुसूर में हुआ किसी का हर्जाना! ♥️ Challenge-937 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।