#OpenPoetry सुनो..... तुम्हारा राजधानी जाना मुझे डरा देता है, तुम्हारा उन गलियों से गुजरना जहाँ तुम दोनों के अतीत की यादें है| सब याद आ जाता है न तुम्हे? वो निर्मल विहार स्टेशन जिसने देखा है कभी तुम्हे उसका इंतजार करते हुए कभी उसको तुम्हारा इंतजार करते हुए, वो स्टेशन गवाह है तुम दोनों के प्यार का, ज़ब दोनों झूठ बोलकर clg बंक करके, वहाँ जाया करते थे 5-5 घंटे यू ही बैठ के बतियाया करते थ| उसका हाथ पकड़ के तुम शादी की बातें किया करते थे | सब याद है न? पहला प्यार आख़िरी सांस तक याद रहता है... मुझे भी याद रहेगा एक चेहरा जिसे मैंने आज तक देखा ही नहीं . मुझे भी याद रहेंगी वो गलियां जहाँ मै आज तक गयीं नी बिलकुल तुम्हारे निर्मल विहार स्टेशन की तरह... यादें कभी मरती नहीं है| . सुनो.. मै ये नहीं चाहती के मुझे उसकी जगह दो ..मै सुनना चाहती हु तुमसे वो निर्मल विहार स्टेशन की सारी बातें..पर तुम्हारा दिल्ली जाना मुझे डरा देता है, के वो कहीं मिल गयीं तो मै कहीं खो न जाऊ............. राखी राज