गलती से गलत रास्ते पे जाकर, राहों में फिर ठोकरें खाकर जिस्म से अपने लहू बहाकर, कांटों को सर का ताज बनाकर दुनिया को सच का ज्ञान कराकर, हमें ऊपर उठते जाना है चुनौतियों को धता बताकर , माटी को फिर भाल लगाकर उम्मीदों का दिया जलाकर, अंधियारे को धूल चटाकर ये कार्य कर दिखलाना है, हमें सही मंज़िल को पाना है बस इतना ही हमने ठाना है, हमें आगे ही बढ़ते जाना है © अनकहे अल्फ़ाज़ ! सीमांत Challenge-164 #collabwithकोराकाग़ज़ कोलाब कीजिए और बताइए गलत रास्ते अपनाकर सही मंज़िल कैसे मिल जाएगी। चाहे दोनों विषयों पर एक लेखक लिखे या एक विषय पर लिखकर दूसरे लेखक को आमंत्रित करे। (Font=Eczar=13) #गलतरास्तेसहीमंज़िल #कोराकाग़ज़ #yqdidi #yqbaba #YourQuoteAndMine Collaborating with कोरा काग़ज़ ™️ #अनकहेअल्फ़ाज़ #मंज़िल