मुझे कहां आता था यह जमाने से छुपकर किसी को चाहना मैं तो इस बज्म में आजाद चिड़िया सी थी तूने ही पिंजरा खोल कर मुझे उड़ना सिखा दिया वरना यह उल्फत कहां हमारे दौर में थी। मुझे तो बस खुद से ही शिकवा था खुद की ही चाहती सी थी मेरे लिए तो यह मोहब्बत महज़ एक शायर सी थी मैं तो खुद में जीने वाली एक महफ़िल थी सनम मेरे बस में कहा यह दुनिया में तो खुद ही आशिक कायर सी थी। Raina Shukla(Rising Poetess) #newone#newdard#newday#ekbarphir#rainashukla