कम हो जाती है दूरियों की अहमियत, वहाँ, जहाँ एहसास रूहानी हो जाएँ। चिट्ठी या किसी सन्देश की क्या चाहत, जहाँ मजमून रूहें खुद ही पढ़ जाएँ। दिल की धड़कनों पे लफ्ज़ जो लिखे हो, पन्नों पर वो अल्फाज़ कैसे लिख पाएँ। जज़्बातों का जहाँ दिमागों से परे हो, वहाँ दूर हो कर भी दूरियाँ कहाँ रह पाएँ। जब सुकून की व्याकुलता चरम पे हो, जीवन का हर पल वो सामने हो जाएँ। ख़्वाब होकर भी हक़ीक़त लगने लगे, इन्तज़ार में आख़िर कैसे हम रह पाएँ। बहर गहरा हो जाए जब चाहत का, डूब कर ही पार उतरने का सुकूँ पाएँ। चिट्ठी या किसी सन्देश की क्या चाहत, जहाँ मजमून रूहें खुद ही पढ़ जाएँ। #चिट्ठी #बहर #सन्देश #रूहानी #मजमून #व्याकुलता #yqhindi #bestyqhindiquotes