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मृगनयनी ,प्राणहरनी,रति सा तुम्हारा रूप है मोहित रह

मृगनयनी ,प्राणहरनी,रति सा तुम्हारा रूप है
मोहित रहते स्वयं कामदेव हरपल 
ऐसा सौन्दर्य तुम्हारा प्रतिरूप है
सोलह अलंकारो का क्या वर्णन करूं मैं तुझमें
फीके पड़ गये है हर अलंकार आज तेरी सादगी के समक्ष... #img.source-inst.
# स्वीकार
मृगनयनी ,प्राणहरनी,रति सा तुम्हारा रूप है
मोहित रहते स्वयं कामदेव हरपल 
ऐसा सौन्दर्य तुम्हारा प्रतिरूप है
सोलह अलंकारो का क्या वर्णन करूं मैं तुझमें
फीके पड़ गये है हर अलंकार आज तेरी सादगी के समक्ष... #img.source-inst.
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