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ये क्या दे रहे हो भाई, मुझे रास नहीं आई! 73सालो कि

ये क्या दे रहे हो भाई, मुझे रास नहीं आई! 73सालो कि आजादी, हमें तो नहीं मिल पाई! 
आजादी की बधाई, हमें क्यो दे रहे हो भाई? 

बांधा गया है देखो ना हमें सवर्ण के बेड़ियों में! खाना शेरों का छिन छिन, बांटा जाता है भेड़ियो में! 
ये हांथों की बेड़ियाँ मेरी आज भी ना खुल पाई! 
 आजादी की बधाई, हमें क्यो दे रहे हो भाई? 

 तु खुश रह कि तुझे आजादी मिली आज थी, गोरो से! कैसी आजादी? गदहे भी जब जीत रहे हैं घोड़ो से! 
तुझसे ज्यादा काबिल होकर नौकरी नहीं मिल पाई! 
आजादी की बधाई, हमें क्यो दे रहे हो भाई? 

मुगलों से हम हि उलझे, अरबों को हमने मारा था! विर शिवाजी हम ही थे, राणा प्रताप हमारा था! 
सबसे पहले, हमने हि,आजादी कि बिगुल बजाई! 
आजादी की बधाई, हमें क्यो दे रहे हो भाई? 

पहला शहिद मंगल पांडे, या वृद्ध कुंवर कि बात करो! आजाद हिंद तक पैसो को, किसने पहुंचाया याद करो! 
हमने जन्मा वीरांगना, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई! 
आजादी की बधाई, हमें क्यो दे रहे हो भाई? 

छोड़ो खुशियों के दिन में अपने, दर्द को कितना खुर्दु मैं! हम ना होते भाई साब! पढते लिखते तुम उर्दू में! 
घुमो, नाचो, गाओ बोलो वन्दे मातरम् भाई! 
हां मगर, 
आजादी की बधाई हमें रास न आई!! 
लेखक-- पवन प्रतिहार आजादी की बधाई
ये क्या दे रहे हो भाई, मुझे रास नहीं आई! 73सालो कि आजादी, हमें तो नहीं मिल पाई! 
आजादी की बधाई, हमें क्यो दे रहे हो भाई? 

बांधा गया है देखो ना हमें सवर्ण के बेड़ियों में! खाना शेरों का छिन छिन, बांटा जाता है भेड़ियो में! 
ये हांथों की बेड़ियाँ मेरी आज भी ना खुल पाई! 
 आजादी की बधाई, हमें क्यो दे रहे हो भाई? 

 तु खुश रह कि तुझे आजादी मिली आज थी, गोरो से! कैसी आजादी? गदहे भी जब जीत रहे हैं घोड़ो से! 
तुझसे ज्यादा काबिल होकर नौकरी नहीं मिल पाई! 
आजादी की बधाई, हमें क्यो दे रहे हो भाई? 

मुगलों से हम हि उलझे, अरबों को हमने मारा था! विर शिवाजी हम ही थे, राणा प्रताप हमारा था! 
सबसे पहले, हमने हि,आजादी कि बिगुल बजाई! 
आजादी की बधाई, हमें क्यो दे रहे हो भाई? 

पहला शहिद मंगल पांडे, या वृद्ध कुंवर कि बात करो! आजाद हिंद तक पैसो को, किसने पहुंचाया याद करो! 
हमने जन्मा वीरांगना, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई! 
आजादी की बधाई, हमें क्यो दे रहे हो भाई? 

छोड़ो खुशियों के दिन में अपने, दर्द को कितना खुर्दु मैं! हम ना होते भाई साब! पढते लिखते तुम उर्दू में! 
घुमो, नाचो, गाओ बोलो वन्दे मातरम् भाई! 
हां मगर, 
आजादी की बधाई हमें रास न आई!! 
लेखक-- पवन प्रतिहार आजादी की बधाई