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ऐसा क्यों होता हैं की जब भी मैं किसी भी खूबसूरत ची

ऐसा क्यों होता हैं
की जब भी मैं किसी भी
खूबसूरत चीज़ को देखता हूँ
मुझे तुम याद आते हों
आख़िर ये कैसा लगाव हैं तुमसे
की तुम्हारी याद मुझे
दुनिया मे बिखरी हुई मिलती हैं
नही मिलती ये तो बंद आँखों के पीछे
वहाँ तो जैसे एक लंबी रात चल रही हैं
जिसमे न चाँद है
न तारे हैं
और ना ही हैं कोई आहट
क्या तुम मुझे वहाँ नहीं मिल सकते
पर ये भी अच्छा हैं
तुम्हारी बिखरी यादें
मुझे पूरा करती हैं
जैसे कोई हिस्सा हो अतीत का हमारे
ख़ैर तुम जल्दी आना
शायद मैं और इंतज़ार ना कर सकूंगा
विरह का दीपक भुजने न देना
तुम जल्दी आना

इन अधूरे जन्मों में
तुम भी अधूरे हो
पर मुझसे ज़्यादा पूरे हो
अभिव्यक्ति से जो ऊपर हो
मुझकों भी उसमें
शामिल करना
ज़्यादा देर न करना


उज्ज्वल

©Ujjwal Sharma ऐसा क्यों होता हैं
की जब भी मैं किसी भी
खूबसूरत चीज़ को देखता हूँ
मुझे तुम याद आते हों
आख़िर ये कैसा लगाव हैं तुमसे
की तुम्हारी याद मुझे
दुनिया मे बिखरी हुई मिलती हैं
नही मिलती ये तो बंद आँखों के पीछे
ऐसा क्यों होता हैं
की जब भी मैं किसी भी
खूबसूरत चीज़ को देखता हूँ
मुझे तुम याद आते हों
आख़िर ये कैसा लगाव हैं तुमसे
की तुम्हारी याद मुझे
दुनिया मे बिखरी हुई मिलती हैं
नही मिलती ये तो बंद आँखों के पीछे
वहाँ तो जैसे एक लंबी रात चल रही हैं
जिसमे न चाँद है
न तारे हैं
और ना ही हैं कोई आहट
क्या तुम मुझे वहाँ नहीं मिल सकते
पर ये भी अच्छा हैं
तुम्हारी बिखरी यादें
मुझे पूरा करती हैं
जैसे कोई हिस्सा हो अतीत का हमारे
ख़ैर तुम जल्दी आना
शायद मैं और इंतज़ार ना कर सकूंगा
विरह का दीपक भुजने न देना
तुम जल्दी आना

इन अधूरे जन्मों में
तुम भी अधूरे हो
पर मुझसे ज़्यादा पूरे हो
अभिव्यक्ति से जो ऊपर हो
मुझकों भी उसमें
शामिल करना
ज़्यादा देर न करना


उज्ज्वल

©Ujjwal Sharma ऐसा क्यों होता हैं
की जब भी मैं किसी भी
खूबसूरत चीज़ को देखता हूँ
मुझे तुम याद आते हों
आख़िर ये कैसा लगाव हैं तुमसे
की तुम्हारी याद मुझे
दुनिया मे बिखरी हुई मिलती हैं
नही मिलती ये तो बंद आँखों के पीछे