जो ख्याल थे, न कयास थे... जो ख्याल थे, न कयास थे, वो ही लोग मुझसे बिछड़ गए; जो मोहब्बतों की आस थे, वो ही लोग मुझसे बिछड़ गए; जिन्हें मानता नहीं ये दिल, वो ही लोग मेरे हैं हमसफ़र; मुझे हर तरह से जो रास थे, वो ही लोग मुझसे बिछड़ गए; मुझे लम्हा भर की रफ़ाक़तों के सराब बहुत सतायेंगे; मेरी उम्र भर की प्यास थे, वो ही लोग मुझसे बिछड़ गए; ये जो जाल सारे है आरजी, ये गुलाब सारे है कागजी; गुल-ए-आरजू की जो बास थे, वो ही लोग मुझसे बिछड़ गए; मेरी धडकनों के करीब थे, मेरी चाह थे, मेरा ख्वाब थे; वो जो रोज़-ओ-शब मेरे पास थे, वो ही लोग मुझसे बिछड़ गए। ©DEAR COMRADE (ANKUR~MISHRA) जो ख्याल थे, न कयास थे... जो ख्याल थे, न कयास थे, वो ही लोग मुझसे बिछड़ गए; जो मोहब्बतों की आस थे, वो ही लोग मुझसे बिछड़ गए; जिन्हें मानता नहीं ये दिल, वो ही लोग मेरे हैं हमसफ़र;