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मनोव्यथा (Read in caption.. ) ना बनती अंदर रहने,

मनोव्यथा
(Read in caption.. ) ना बनती अंदर रहने, 
ना ही आने को बाहर राज़ी है.. 

खाये जाती अंदर से ही, 
ना जाने कैसी ये बीमारी है..

लगते सब इसीके मरीज़, 
छुपाते इसके लक्षण पर, ना जाने क्या लाचारी है..
मनोव्यथा
(Read in caption.. ) ना बनती अंदर रहने, 
ना ही आने को बाहर राज़ी है.. 

खाये जाती अंदर से ही, 
ना जाने कैसी ये बीमारी है..

लगते सब इसीके मरीज़, 
छुपाते इसके लक्षण पर, ना जाने क्या लाचारी है..