इज़हार- ए- मुहब्बत। हमें महसूस होता है ज़माने की तरह तुम भी मुहब्बत के हसीं खामोश जज़्बों पर बहुत कुछ सुनना चाहते हो मगर अपनी तबीअत की हमें इज़हार जज़्बों का कभी अच्छा नही लगता सुना है प्यार का दिन है तो हम अपनी तबीअत कि पसन्द और नापसन्द अबकि बालाए ताक रखते हैं तो कहते हैं हया कैसी चलो हम कह ही देते हैं हमें तुमसे मुहब्बत है हमें तुमसे मुहब्बत है। #Izhaar_E_Mohabbat #Anchor_Life#Professional_Life 🎤🎤🎤🎤🎤😊😊😊