तु रवां हूआ मैं वहीं रही, इस आस में , तू आएगा! वो मिजा़ज-ए-वक्त की शख्सियत,जो चला गया तो न आयेगा।। है मुख्तशर मेरा इश्क़ भी,तेरे लम्श ,तेरी रिफा पे ही, तेरे बाद अब अहवाल है,ये फिर नहीं हो पायेगा।। मैंने जौक़ ए कुरबत के लिए,ईमान से जब फर्ज किए! मेरी हसरतों को यकीन था , नबी मुझे भी बुलाएगा।। ©Aietreya Parashar #mhi❤