ना जाने किस मझधार में फसा मैं अपनों ने ही छोड़ा साथ मेरा।।। रिश्तों की डोर में ऐसे कैद हुआ मै कि अब ना बचा कोई अस्तित्व मेरा।। जाना चाहता हूं हर बंधन से दूर मैं फिर भी ना जाने क्यूं निष्ठुर नहीं हो पाता मन मेरा।। रो रहा हूं सिर्फ आंखो से ही नहीं रूह से भी मैं अब ना झेल पता दगा दिल मेरा।। #dga #alone..