वो बारिश की शाम वो फुहारों की छुवन तुम्हारा झिझकते हुए मेरी बांहों में सिमट जाना भीनी-भीनी खुशबू फैली तेरे वजूद की बड़ी मुश्किल से मेरा सम्भल जाना तुम पास तो नहीं हो अब पता नहीं कहां हो आज भी मुझसे पूछें हैं बूंदें तुम कहां हो, कहां हो #कृष्णार्थ ©KRISHNARTH #बारिश #फुहारें