नज़ारे तो वही हैं बस नज़र बदल गए, दुआ हो या हो बद्-दुआ असर बदल गए। राहें भी वही हैं और मंज़िल भी एक है, बस साथ चलने वाले हमसफ़र बदल गए। पूरी ग़ज़ल कैप्शन में... फ़ॉलो करें🙏🙏🙏 नज़ारे तो वही हैं बस नज़र बदल गए, दुआ हो या हो बद्-दुआ असर बदल गए। राहें भी वही हैं और मंज़िल भी एक है, बस साथ चलने वाले हमसफ़र बदल गए। ये दोस्त ही तो जान थे जीने की वज़ह भी, सब छूट गया साथ जब शहर बदल गए।