मुश्किलें, रुसवाई, जाने क्या-क्या न सहा इसे पाने मे ज़िंदगी को समझने, ज़िंदगी को दाव पे लगाए है हमने कल कोई मुझसे कह रहा था, तुझसे ये ना हो पाएगा अब कौन बताए उसे, पत्थर पे भी शज़र उगाए हैं हमने -Anzar #ZindagiHunMain #lafz #poetry