"सागर तट पर गीतों के एक गांँव सरीखे लगते हो। जीवन की विकराल धूप में छांँव सरीखे लगते हो।। कैसे कह दें भूल गये हम साथ बिताये सुन्दर पल, आप हमारे आदर्शों की नाव सरीखे लगते हो।। " वैरागी© प्रतिक प्रेमराज भाला (pratik writes) Dreamy Shahjahan(Youtuber)