जी चाहता है ,, कहि किसी नुक्कड़ पर खुद से मिल जाउ ,हो बस चाय का संग मैं कोई कविता बन जाउ। सारे गम ,सारी ख्वाहिशे ,,हर एक घूट में निगल जाउ ,काश मै बादल बनकर,दरिया को तर जाउ।। ना यादे हो किसी की ,ना मलाल किसी को खो देने का ,,इस शोर भरी जिंदगी में ,खामोशी से खुद में खो जाउ।। बारिश और खयाल