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थोड़ा सा ठहर जाओ तुम। यूँ हमें न आजमाओ तुम। क्यों

थोड़ा सा ठहर जाओ तुम।
यूँ हमें न आजमाओ तुम।

क्यों हर बात पे रूठते हो,
जरा सा मुस्कुराओ तुम।

इतनी क्या जल्दी जाने की,
दो पल तो बतियाओ तुम।

कह भी दो जो दिल में है,
इतना भी न इतराओ तुम

लिखें हैं कुछ प्रेम भरे 'गीत'
जरा उन्हें गुनगुनाओ तुम।

©Sneha Agarwal 'Geet'
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