मैं फिर से प्यार कर बैठी थी , ©khubsurat read in caption स्वर मे कंपन नहीं दिखे होंगे ना दिखी होगी कोई लकीरे चेहरा हरा भरा ही था मेरा इक पहर भर धूप थी बस जला नहीं शरीर बस तपा बहुत तपा तुम्हे पता नहीं चला होगा