मौत से नर्गिस नही खुद मौत नर्गिस से डरती है बुलाती हूँ हर रोज उसे बड़े प्यार से न जाने क्यो न आने के हजार बहाने करती है बड़ी बेवफ़ा निकली है ये मौत भी उसकी तरह जब जब होती है जरूरत इनकी तो ये दोनो आना कानी करती है मौत से नर्गिस नही खुद मौत नर्गिस से डरती है मेरे लिए अब दोनो एक से हुए हैं मौत और वो जो मेरी जिंदगी दोनो का ही नर्गिस बेसब्री से इंतज़ार करती है नर्गिस बेनूरी खज़ा मौत से नर्गिस नहीं मौत नर्गिस से डरती है