दौडू, थकू, हारु फिर भी चलना चाहता हूं मैं। ठहरू तों ललकार देना , कि कहीं रूक ना जाऊं एक जगह मैं। दिखें अगर कोई कमियां, कोई बुराईयां मुझमें तों कहीं ओर नहीं मेरे पास ही कह देना आभारी रहूंगा आपका मैं। ✍️✍️ प्रहलाद मंडल " गुल्लू" ©prahlad mandal #w_for_writer #hangout