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दाग कभी फुर्सत से बैठो, तो मैं अपनी कहानी बताऊं l

दाग

कभी फुर्सत से बैठो,
तो मैं अपनी कहानी बताऊं l
तुम समझते हो चाँद  जिस है,
उसके हर दाग की कहानी सुनाओ l

कहीं नम निगाहें होंगी,
तो कभी चेहरे पर मुस्कान होगी l
कुछ राज गहरे होंगे तो,
कुछ ज़ख्मों से तुम्हारी जान पहचान होगी l

इसके बाद हर फैसला तुम्हारा होगा,
तुम चाहो तो दिल-ए-निकाला होगा l
कुछ पन्ने काले होगे,
तो कहीं कोरे कागज़ होगे l

कलम तुम्हारे हाथ होगी,
चाहो तो साथ लिख देना l
चाहो तो हमें बरबाद लिख देना,
तुम्हारे चाँद के दागो को अपना लेना चाहो तो ठुकरा देना l

©khushboo gupta
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