एक दुख घणा भारी हो गया घर का जवान बॉर्डर पर जाण ने राजी हो गया हंसी खुशी घर ते अलविदा हो गया अर बॉर्डर पर जाके वह शहीद हो गया यो दुख घणा मोटा हो गया घर का चिराग गहरी नींद में सो गया इकलौते बेटे का मोल 2-3 लाख हो गया यह कौन सा सिस्टम हो गया इसी सिस्टम का दुख घणा भारी हो गया मां बापू की आंखाँ के आंसू सूख गे खुद के बेटे ने भी याद करण के दिन ढूंढने पड गे बना के रख दिए शहीदी दिवस और दिन याद करने पर बैन होने लग गे ये सिस्टम घने कसूते होगे किसी ने याद करण खातिर 12 महीना डट गे गुलाम हो हर रोज तुम बस एक दिन 15 अगस्त को स्वतंत्र होते हो हो इकट्ठा फिर तुम क्यों दिखावा करते हो बैन है हर रोज आजादी मनाना जवान तुम 1 दिन के लिए खुद को कुर्बान क्यों करते हो। dedicated to army #army #soilders #brave