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गर रत्ती भर भी तुमको मलाल है, दो चार बूंद ही सही र

गर रत्ती भर भी तुमको मलाल है,
दो चार बूंद ही सही रक्त जो खौलता है लाल है,

शायद एक ही किरण सच्ची है तुमारे आंखो में
शायद एक ही सच्चा खयाल है

जो चाहता है लड़ना पूरे विश्व की बेईमानी से 
नहीं चाहता वैभव रिश्वत की कमाई से

जो बचाना चाहता है समाज का बचपन 
जिसको कटता रहना तटस्थ अकेलापन

जिसको जाती ना समझ आती है न दिखती है
किसी और की परेशानी खुद की लगती है

उस एक खयाल को तो न मारो जिंदा रहने दो
अभी बच्चा है छोटा है उसे पलने दो बढ़ने दो

शायद एक ही खयाल लायेगा इंकलाब जो जरूरी है
भला निचली जाती मे पैदा होना, ये कैसी मजबूरी है

©mautila registan(Naveen Pandey)
  #Freedom #Inklab #Love