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मईया... कहाँ हो मईया.. मईया मोरी... 😔 क्

मईया...
  कहाँ हो मईया..
      मईया मोरी... 😔 
क्या हूं मैं पता नही,
खोजता हूं खुद को..
हर रोज कभी विश्वास रूपी मिट्टी में,
तो कभी उसी प्रेम रूपी बीज में..
कभी वृक्ष के तने में,
तो कभी शाखो में..
तो कभी पीले पड़ चुके
मईया...
  कहाँ हो मईया..
      मईया मोरी... 😔 
क्या हूं मैं पता नही,
खोजता हूं खुद को..
हर रोज कभी विश्वास रूपी मिट्टी में,
तो कभी उसी प्रेम रूपी बीज में..
कभी वृक्ष के तने में,
तो कभी शाखो में..
तो कभी पीले पड़ चुके