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कल सुबह तक वह इज्जत दार प्रत्याशी थे और और विजय की

कल सुबह तक वह इज्जत दार प्रत्याशी थे और और विजय की उम्मीद से थे इधर मतगणना शुरू हुई और उधर उनके खेमे में लड्डुओं का सेवन शुरू हो गया पर जैसे-जैसे घंटे करना आगे बढ़ती साबित होने लगी मतदाताओं के उनके ऊपर से पिलाई गई दारू और बांटे गए नोट व्यर्थ हुए इतना ही नहीं उनके प्रति लोगों का चयन रस भी जल्द ही बिखरने लगा अपनी रूटीन कार्यक्रम के अंतर्गत उनके छह पुत्रों ने एक कन्या को छेड़ा तो सभी ने मिलकर उन्हें जमकर धुना को देखते हुए पुलिस वालों ने भी लोग हाथ अपने हाथों की खुजली मिटाई सुबह सवेरे प्रत्याशी जी का निकम्मा भाई पान के ठेले बढ़ता भूल से उनके लिए गया तो दुकानदार ने समझा कि वह फिर हफ्ता वसूली आ गया फिर क्या था लात घूंसे कि उसकी भी जांच पूरी कर दी इन सभी बातों को बेखबर प्रत्याशी जी ने खुद को अपने विशेष कक्ष में बंद कर लिया और उसका उसके आने का नाम चेतन के काम आता था जब भी कोई राजनीतिक संकट आता है तो वह आत्म चिंतन हेतु खुद को नजरबंद कर लेते हैं उनके समर्थन निश्चय थे परान की बहू गीता पत्नी का मन व्याकुलता प्रति के दो तथा से प्रभावित थे चिंता कक्ष के गुप्त द्वार से परिचय जिसकी रस्ते उनके प्रति अनुभवी पत्नियां प्रवेश कर जाती थी वह आदमी चंदन को दे मंथन में बदल देती थी उन्होंने जिद ठान ली थी कि उनके साथ के कक्ष से बाहर निकल जाए आखिरकार जब सभी के भीतर प्रवेश किया तो उन्हें अदभुत नजारा देखकर सभी दंग रह

©Ek villain #प्रत्याशी पराजय व्यर्थ कथा

#adventure
कल सुबह तक वह इज्जत दार प्रत्याशी थे और और विजय की उम्मीद से थे इधर मतगणना शुरू हुई और उधर उनके खेमे में लड्डुओं का सेवन शुरू हो गया पर जैसे-जैसे घंटे करना आगे बढ़ती साबित होने लगी मतदाताओं के उनके ऊपर से पिलाई गई दारू और बांटे गए नोट व्यर्थ हुए इतना ही नहीं उनके प्रति लोगों का चयन रस भी जल्द ही बिखरने लगा अपनी रूटीन कार्यक्रम के अंतर्गत उनके छह पुत्रों ने एक कन्या को छेड़ा तो सभी ने मिलकर उन्हें जमकर धुना को देखते हुए पुलिस वालों ने भी लोग हाथ अपने हाथों की खुजली मिटाई सुबह सवेरे प्रत्याशी जी का निकम्मा भाई पान के ठेले बढ़ता भूल से उनके लिए गया तो दुकानदार ने समझा कि वह फिर हफ्ता वसूली आ गया फिर क्या था लात घूंसे कि उसकी भी जांच पूरी कर दी इन सभी बातों को बेखबर प्रत्याशी जी ने खुद को अपने विशेष कक्ष में बंद कर लिया और उसका उसके आने का नाम चेतन के काम आता था जब भी कोई राजनीतिक संकट आता है तो वह आत्म चिंतन हेतु खुद को नजरबंद कर लेते हैं उनके समर्थन निश्चय थे परान की बहू गीता पत्नी का मन व्याकुलता प्रति के दो तथा से प्रभावित थे चिंता कक्ष के गुप्त द्वार से परिचय जिसकी रस्ते उनके प्रति अनुभवी पत्नियां प्रवेश कर जाती थी वह आदमी चंदन को दे मंथन में बदल देती थी उन्होंने जिद ठान ली थी कि उनके साथ के कक्ष से बाहर निकल जाए आखिरकार जब सभी के भीतर प्रवेश किया तो उन्हें अदभुत नजारा देखकर सभी दंग रह

©Ek villain #प्रत्याशी पराजय व्यर्थ कथा

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Ek villain

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