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उलझे धागों को सुलझाना मुश्किल है। नफरत वाली आग बुझ

उलझे धागों को सुलझाना मुश्किल है।
नफरत वाली आग बुझाना मुश्किल है।
जिनकी बुनियादे खुदगर्जी पर होगी।
ऐसे रिश्तों का चल पाना मुश्किल है।
बेहतर है कि खुद को ही तब्दील करे।
सारी दुनिया को समझाना मुश्किल है।
जिनके दिल में कद्र नहीं इंसानों की।
उनकी तरफ हाथ बढ़ाना मुश्किल है।
रखकर जान हथेली पर चलना होगा।
आसानी से कुछ भी पाना मुश्किल है।
दाव पेंच से अनजान हैं हम बेसक।
हम सबको यु ही बहकाना मुश्किल है।
 उड़ना रोज परिंदे कि है मजबूरी।
घर बैठे परिवार चलाना मुश्किल है।
कातिल की नजरो से हम महफूज कहा।
सुबह शाम टहलने जाना मुश्किल है।
तंग नजरिए में बदलाव करो वरना।
कल क्या होगा ये बतलाना मुश्किल हैं।

©Love is my life
  मुश्किल है

मुश्किल है #कविता

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