बह्र - २१२२-१२१२-२२/११२ ख़्वाब अब भी तुम्हारे नाम के हैं क्या करूँ ये हमारे काम के हैं।।१ कान्हा वासुदेव औ मोहन सारे ही नाम मेरे श्याम के हैं।।२ खुश रहे तू सदा ये चाहत है दर्द सारे तेरे गुलाम के हैं।।३ इश्क़ में शर्त कौन रखता है छोड़ो भी जाँ ये कोई काम के हैं।।४ गुनगुनाते हो शेअर हरदम जो वो सभी मेरे ही कलाम के हैं।।५ सोचते क्यूँ हो #जय के बारे में इतना समझो वो इस अवाम के हैं।।६ ©जय एक मुक़म्मल ग़ज़ल #ग़ज़ल #शेर #शायरी #शायर #महसूस