तुम्हारा अंश ईश्वर अब मेरा प्रेम बन गया है देखो ना ईश्वर ! तुम्हें भी गर्व होगा अपने सृजन पर मेरे "प्रेम" पर ....।। -Anjali Rai (अनुशीर्षक में .....,❤️) मुट्ठियों में समेट लेता है वो अपनी पलकों की उफनती नदी को; डरता है कि कहीं उस प्रवाह में मैं बह ना जाऊं सांझ होते ही बटोर लेता है वो सारे अंधेरे जुगनुओं से